Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH : नई दिल्ली, एक मामले की सुनवाई करते हुए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्नी की आत्महत्या के लिए पति को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हमेशा यही नहीं माना जा सकता कि पती के उकसावे से पत्नी ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया है. कोर्ट ने कहा कि पति के उकसावे के पर्याप्त और स्पष्ट सबूत होने जरूरी है जो कि यह साबित करे कि इन्ही के चलते पत्नी ने यह कठोर कदम उठाया. कोर्ट ने इस बात को आधार बताते हुए आत्महत्या के लिए उकसाने में आरोपी एक पति को बरी कर दिया l
बता दे कि गुरुचरण और उसके माता पिता पर पत्नी की आत्महत्या के लिए आरोप तय हुए थे. उन लोगों पर IPC की धारा 304बी और 498 औरर 34 लगाई गई थी. ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि जिन धाराओं में केस दर्ज हुआ उसके पर्याप्त सबूत नहीं हैं लेकिन पती और माता-पिता पर 307 के तहत केस बनेगा और सभी को 306 के तहत दंड मिलेगा
गुरुचरण ने ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को पंजाब हाईकोर्ट में चुनौती दी लेकिन हाईकोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया. इसके बाद गुरुचरण ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की lसुप्रीम कोर्ट ने मालमे में सुनवाई करते हुए कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने के पर्याप्त सबूत नहीं और नहीं इस बात के सबूत है कि उसे ससुराल में किसी प्रकार की प्रताड़ना दी गई है. कोर्ट ने कहा कि 307 के तहत अपराध साबित करने के लिए उकसावे की मंशा साबित करना जरूरी है.