# ऑफसेट पॉलिसी के मुताबिक विदेशी कंपनियों को अनुबंध का 30 प्रतिशत हिस्सा भारत में रिसर्च या उपकरणों पर खर्च करना होता है.
# कैग ने कहा है कि कि राफेल सौदे समेत साल 2015 से लेकर अब तक कई मामलों में ऑफसेट पॉलिसी का पालन नहीं हुआ है.
Report manpreet singh
RAIPUR chhattisgarh VISHESH : नई दिल्ली, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने बड़ा खुलासा किया है. कैग ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अप्रैल 2016 में फ्रांस के साथ राफेल जेट की खरीद से पहले सरकार ने रक्षा खरीद नीति में बदलाव किया था. कैग ने बताया कि रक्षा खरीद में यह बदलाव साल 2015 में किया गया था और एक अप्रैल 2016 से यह लागू हो गया था.
कैग ने संसद में क्या बताया?
कैग ने संसद में बताया कि रक्षा खरीद नीति में बदलाव के मुताबिक, साल 2016 में जब भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल फाइटर जेट की डील हुई तो उसमें ऑफसैट पार्टनर घोषित करने की अनिवार्यता खत्म हो गई थी. इस बदलाव के बाद अब सरकार से सरकार, अंतर-सरकार और एकल विक्रेता से रक्षा खरीद में ऑफसेट पॉलिसी लागू नहीं होगी.
रक्षा खरीद नीति में हुए इस बदलाव का क्या मतलब है?
इस बदलाव के बाद अब विदेशी वेंडर को कॉन्ट्रैक्ट साइन करते समय अपने ऑफसैट पार्टनर के बारे में बताना जरूरी नहीं है. कैग ने कहा है कि कि राफेल सौदे समेत साल 2015 से लेकर अब तक कई मामलों में ऑफसेट पॉलिसी का पालन नहीं हुआ है. कैग ने यह भी बताया कि ऑफसेट का समझौता पूरा न होने पर पॉलिसी में ऐसा कुछ भी नियम नहीं है, जिससे विदेशी कंपनी पर जुर्माना लगाया जा सके.
भारत ने साल 2005 में अपनाई थी ऑफसेट नीति
कैग ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया है कि फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन से 59 हजार करोड़ रुपए में 36 राफेल विमानों की डील करते समय सरकार ने ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट में डीआरडीओ को कावेरी इंजन की तकनीक देकर 30 प्रतिशत ऑफसेट पूरा करने की बात भी तय की थी. हालांकि ये वादा अभी तक पूरी नहीं हुआ. ऑफसेट पॉलिसी के मुताबिक विदेशी कंपनियों को अनुबंध का 30 प्रतिशत हिस्सा भारत में रिसर्च या उपकरणों पर खर्च करना होता है. भारत ने साल 2005 में ऑफसेट नीति को अपनाया गया था.
बता दें कि भारत सरकार ने फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन से ‘सरकार-से-सरकार अनुबंध’ के माध्यम से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे हैं. इनमें से पांच राफे विमानों को इसी महीने भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया है