कार में लगाये बस ये छोटा सा डिवाइस, ऐप बताएगा गाड़ी के किस पार्ट में है प्रॉब्लम, माइलेज की भी जानकारी देगा


Report manpreet singh 

Raipur chhattisgarh VISHESH : ओबीडी डिवाइस जो भी जानकारी कार के ईसीयू यूनिट से कलेक्ट करेगा, ऐप के जरिए उसे फोन पर देखाता है। ऐसे में समय रहते उस समस्या को ठीक किया जा सकता है।

OBD यानी ऑन-बोर्ड डायग्नोस्टिक कार के ECU (इंजन कंट्रोल यूनिट) को रीड करता है l OBD ऐप के जरिए माइलेज, कूलेंट टेंपरेचर समेत गाड़ी में फॉल्ट के बारे में जानकारियां देता है l कई बार कार रिपेयर करवाना महंगा पड़ जाता है। कार में छोटी सी खराबी होने पर भी मैकेनिक झूठ बोलकर, कोई बड़ी खामी बताकर पैसे ऐंठ लेते हैं। ज्‍यादातर लोगों को कार के मैकेनिकल प्रॉब्लम की जानकारी नहीं होती और मैकेनिक इसका पूरा फायदा उठाता। अगर आप भी इस परेशानी से गुजर चुके हैं या आगे के लिए सावधान रहना चाहते हैं, तो आपको अपनी कार में OBD यानी ऑन-बोर्ड डायग्नोस्टिक जरूर लगवा लेना चाहिए। यह कार में कोई भी खराबी होने पर आपको रियल टाइम में जानकारी देता है। इसका एक फायदा यह भी है कि आपको पता रहता है कि कार के किस पार्ट में प्रॉब्लम है, इस स्थिति में मैकेनिक आपको ठग नहीं सकेगा। तो चलिए बात करते हैं OBD के बारे में और जानते हैं कि यह कैसे काम करता है और इसे खरीदना चाहिए या नहीं….

क्या है OBD डिवाइस?

OBD का मतलब ऑन-बोर्ड डायग्नोस्टिक है। जैसे की नाम से ही समझ आ रहा है कि डायग्नोस्टिक डिवाइस है, जो कार के अंदर चल रही समस्या के बारे में ठीक वैसे ही पता लगाता है जैसे डॉक्टर इंसानों के शरीर में चल रही प्रॉब्लम का पता लगाते हैं। ओबीडी खासतौर से कार के ECU (इंजन कंट्रोल यूनिट) को पढ़ता है।

आमतौर अब सभी कारों में ECU रहता है, अथॉराइज्ड सर्विस सेंटर पर भी एक खास डिवाइस के जरिए ECU डेटा के जरिए ही, कार के अलग-अलग पार्ट की सेहत के बारे में जानकारी ली जाती है। OBD डिवाइस से कोई भी अपनी गाड़ी की सेहत के बारे में जानकारी ले सकता है।

ज्यादा पुरनी कारों में OBD सपोर्ट नहीं करता है। इसलिए खरीदने से पहले सुनिश्चित कर लें कि आपकी कार इसे सपोर्ट करेगी या नहीं।ज्यादा पुरनी कारों में OBD सपोर्ट नहीं करता है। इसलिए खरीदने से पहले सुनिश्चित कर लें कि आपकी कार इसे सपोर्ट करेगी या नहीं।

कैसे काम करता है यह डिवाइस

OBD को फ्यूज बॉक्स के पास दिए गए सॉकेट में लगाना होता है, हर गाड़ी में यह सॉकेट अलग-अलग जगह होता है। इसे लगाने के बाद मोबाइल फोन से डिवाइस को कनेक्ट करना होता है। एंड्रॉयड और आईओएस के लिए अलग-अलग डिवाइस आते हैं। कुछ OBD ब्लूटूथ के जरिए फोन से कनेक्ट होते है, तो कुछ वाई-फाई सपोर्ट करते हैं।

फोन से कनेक्ट करने के लिए आपको एक खास ऐप इंस्टॉल करना होगा (उदाहरण के तौर पर Torque)। OBD डिवाइस जो भी जानकारी कार के ईसीयू यूनिट से कलेक्ट करेगा, ऐप के जरिए आप उसे फोन पर देख पाएंगे, जैसे की स्पीड, एक्सीरेलेशन, ट्रिप, माइलेज, कूलेंट टेंपरेचर या गाड़ी में किसी पार्ट में खराबी। यह फीचर्स ऐप पर भी निर्भर करते हैं। इसके लिए सबसे पहले OBD डिवाइस और ऐप को कनेक्ट करना होगा।

ऐप पर जानकारी देखने के लिए आपको कार का इग्निशन ऑन करना होगा, इसके बाद आप फोन पर गाड़ी के बारे में रियल टाइम में जानकारी देख पाएंगे। OBD, कार से तरह-तरह के इनपुट लेकर आपको दिखाता रहेगा। जैसे ही कोई फॉल्ट आएगा, उसकी जानकारी रियल टाइम में ही ऐप पर मिल जाएगी, और आप उसे खुद या सर्विस सेंटर पर जाकर ठीक करवा सकेंगे।

ऐप पर यूजर को कुछ इस तरह के जानकारियां दिखाई देती हैं। ऐप के हिसाब से इंटरफेस अलग-अलग हो सकता है।

ऐप पर यूजर को कुछ इस तरह के जानकारियां दिखाई देती हैं। ऐप के हिसाब से इंटरफेस अलग-अलग हो सकता है।

किसे खरीदना चाहिए OBD और क्यूं?


जैसा की पहले बता चुके हैं कि ओबीडी यानी ऑन-बोर्ड डायग्नोस्टिक, कार के ईसीयू यूनिट से डेटा कलेक्ट करता है और वहीं डेटा आपको फोन पर ऐप की मदद से बताता है। यह डिवाइस आपके लिए तब काम का है जब आप खुद से गाड़ी की ठीक करना जानते हों या बहुत से चीजें खुद से ही ठीक कर लेते हों।

इसके अलावा यदि आप चाहते हैं कि आपको गाड़ी के सारे इनपुट दिखते रहें कि गाड़ी में कौन से पार्ट सही से काम कर रहे हैं या कौन से पार्ट्स प्रॉब्लम कर रहे हैं और प्रॉब्लम कितनी सीरियस है, तो भी यह छोटा सा डिवाइस आपके काम का है।

यह उन लोगों के लिए भी बेहद उपयोगी है, जिनकी कार का इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर पर माइलेज की जानकारी नहीं देता है, तो इस डिवाइस को खरीद कर ऐप पर रियल टाइम में पता लगाया जा सकता है कार कितना माइलेज दे रही है और पिछली ट्रिप का माइलेज भी देखा जा सकता है।लेकिन OBD जो जानकारी आपको बताता है, उनमें से कई जानकारियां इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर पर ही मिल जाती है। तो ऐसे में अगर खुद से सारी चीजें ठीक नहीं कर सकते हैं तो इस डिवाइस को खरीदने का ज्यादा फायदा नहीं होगा।

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि साल 2010 से पहले की कारों में यह डिवाइस काम नहीं करता है। अगर उसमें पोर्ट दिया भी होगा तो भी OBD उसमें सपोर्ट नहीं करेगा। इसलिए इसे खरीदने से पहले सुनिश्चित कर लें कि यह आपकी कार में काम करेगा या नहीं।

ई-कॉमर्स साइट पर अलग-अलग ब्रांड के OBD की काफी बड़ी रेंज उपलब्ध है l

कितनी है कीमत

यह काफी किफायती है, इसलिए आपकी जेब पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। ई-कॉमर्स साइट पर इसकी शुरुआती कीमत 400 रुपए है। हो सकता है कि लोकल शॉप पर यह आपको और सस्ता मिल जाए।

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