Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH : नई दिल्ली, कोरोना वायरस की जांच के लिए वैज्ञानिकों ने लार या सलाइवा का नमूना लेने के लिए मुहर लगा दी है। जिसके बाद अब लोग खुद ही बहुत कम परेशानी के साथ अपना सैंपल ले सकेंगे और इसमें नाक या गले के अंदर से स्वाब का नमूना लेने की जरूरत नहीं होगी।
वैज्ञानिकों के अनुसार, यह कोविड-19 का पता लगाने का आसान तरीका हो सकता है। भारत में जांच का यह तरीका अभी शुरू नहीं हुआ है, वैज्ञानिकों ने इस वैकल्पिक जांच पद्धति पर मुहर लगाते हुए कहा कि इससे परिणाम तेजी से आएंगे और अधिक सटीक होंगे। इनसे नमूने एकत्रित करते समय स्वास्थ्य कर्मियों के लिए जोखिम भी कम रहेगा।
लार से कोरोना का पता लगाने के इस तरीके में लोग खुद सरलता से नमूने ले सकते हैं और साफ-सुथरी ट्यूब में डालकर जांच के लिए प्रयोगशाला को भेज सकते हैं। चेन्नई की एल एंड टी माइक्रोबायलॉजी रिसर्च सेंटर में वरिष्ठ एसोसिएट प्रोफेसर ए आर आनंद ने ने कहा, ‘‘यह विशेष तरह का भी है क्योंकि इसमें आरएनए (राइबो न्यूक्लिएक एसिड) को अलग निकालने का अतिरिक्त चरण भी नहीं है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि दूसरी जांचों में इस चरण के लिए इस्तेमाल किट की पहले कमी रही है।’ उन्होंने कहा कि ‘लार की जांच’ करना बहुत आसान है। इसमें केवल कुछ रीएजेंट और रीयल टाइम पॉलीमरेज चेन रियेक्शन (आरटी-पीसीआर) मशीन की जरूरत होती है।
अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (FDA) ने इसी सप्ताह येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ को इसके ‘सलाइवा डायरेक्ट’ कोविड-19 जांच तरीके के आपात स्थिति में उपयोग की मंजूरी प्रदान की थी। इसके बाद से इस तकनीक पर चर्चाएं तेज हो गईं, एफडीए ने एक बयान में कहा कि ‘सलाइवा डायरेक्ट’ जांच में किसी विशेष तरह के स्वाब की या संग्रह उपकरण की जरूरत नहीं होती। लार या सलाइवा को तो किसी भी स्टेराइल पात्र में रखा जा सकता है।