ग्लेशियर के पिघलने से बनीं झीलों के फटने की आशंका --फिर हो सकती है केदारनाथ जैसी भीषण आपदा,वैज्ञानिकों ने किया दावा


रिपोर्ट मनप्रीत सिंह 


रायपुर छत्तीसगढ़ विशेष : देहरादून,  देहरादून के भू-विज्ञान संस्थान के शोधकर्ताओं ने एक बड़ी चेतावनी जारी करते हुए बताया है कि ग्लेशियरों के कारण बनने वाली झीलें बड़े खतरे का कारण बन सकती हैं। 2013 की भीषण आपदा इसका जीता जागता उदाहरण है कि किस तरह से एक झील के फट जाने से उत्तराखंड में तबाही का तांडव हुआ था। फिर एक बार केदारनाथ जैसी झील हिमालय के श्योक नदी के आसपास बनी हुई हैं। इनपर नजर रखना बेहद जरूरी है, अगर ये फट गई तो बड़ी आपदा आ सकती है।वैज्ञानिकों ने श्योक नदी समेत हिमालयी नदियों पर जो रिसर्च किया है वह इंटरनेशनल जर्नल ग्लोबल एंड प्लेनेटरी चेंज में प्रकाशित हुआ है, इस रिपोर्ट में दुनिया के विख्यात जियोलॉजिस्ट प्रो. केनिथ हेविट ने भी मदद की है।


वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. राकेश भाम्बरी, डॉ. अमित कुमार, डॉ. अक्षय वर्मा और डॉ. समीर तिवारी ने 2019 में हिमालय क्षेत्र में नदियों का प्रवाह रोकने संबंधी रिसर्च ग्लेशियर, आइस डैम, आउटबर्स्ट फ्लड एंड मूवमेंट हेट्रोजेनेटी ऑफ ग्लेशियर किया है। जम्मू-कश्मीर के काराकोरम रेंज में स्थित श्योक नदी के प्रवाह को एक ग्लेशियर ने रोक दिया है। इसकी वजह से अब वहां एक बड़ी झील बन गई है, झील में ज्यादा पानी जमा हुआ तो उसके फटने की आशंका है, यह चेतावनी देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने दी है ।


वैज्ञानिकों ने चेताया है कि जम्मू-कश्मीर काराकोरम रेंज समेत पूरे हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियरों द्वारा नदी का प्रवाह रोकने पर कई झीलें बनी हैं, यह बेहद खतरनाक स्थिति है। इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने श्योक नदी के आसपास के हिमालयी क्षेत्र में 145 लेक आउटबर्स्ट की घटनाओं का पता लगाया है, इन सारी घटनाओं के रिकॉर्ड को एनालिसिस करने के बाद ये रिपोर्ट तैयार की है। रिसर्च में पता चला कि हिमालय क्षेत्र की करीब सभी घाटियों में स्थित ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, लेकिन पाक अधिकृत कश्मीर वाले काराकोरम क्षेत्र में ग्लेशियर में बर्फ की मात्रा बढ़ रही है।


इसलिए ये ग्लेशियर जब बड़े होते हैं तो ये नदियों के प्रवाह को रोकते हैं। इस समय क्यागर, खुरदोपीन और सिसपर ग्लेशियर ने काराकोरम रेंज की नदियों के प्रवाह को कई बार रोक झील बनाई है, इन झीलों के अचानक फटने से पीओके समेत भारत के कश्मीर वाले हिस्से में जानमाल की काफी क्षति हो चुकी है। आमतौर पर बर्फ से बनने वाले बांध एक साल तक ही मजबूत रहते हैं, हाल में सिसपर ग्लेशियर से बनी झील ने पिछले साल 22-23 जून और इस साल 29 मई को ऐसे ही बर्फ के बांध बनाए हैं। ये कभी भी टूट सकते हैं, इसे रोकने के लिए वैज्ञानिकों के पास कोई रास्ता नहीं है।


Popular posts
स्किन और हेयर प्रॉब्लम्स से बचने के लिए डाइट में लें विटामिन ई का करे प्रयोग
Image
सर्दियों में सॉफ्ट और खूबसूरत स्किन के लिए फॉलो करें ये जरूरी टिप्स, कोमल बनेगी त्वचा, ग्लो रहेगा बरकरार
Image
ईद-उल-अजहा पर्व पर आज विधायक कुलदीप जुनेजा और छत्तीसगढ़ विशेष के सम्पादक मनप्रीत सिंह ने सभी प्रदेशवासियों को बधाई देते कहा कि ईद-उल-अजहा पर्व हमे भाईचारा एवं एकजुटता का संदेश देता है
Image
जल्द ही आप लगवा सकेंगे मनपसंद टीका, विदेशों में बनी वैक्सीन आयात करेगी सरकार
Image
कब्ज के लिए रामबाण दवा है सेंधा नमक, ऐसे करें सेवन
Image
शरीर को डिटॉक्स करने का एक बेहतरीन तरीका, तलवों पर एक खास तरह की मिट्टी लगाना,
Image
कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए आज से पंजीयन शुरू - ऐसे करें रजिस्ट्रेशन
Image
हास्य केंद्र योग के दसवें स्थापना वर्ष में शामिल हुए विधायक कुलदीप जुनेजा
Image
राष्ट्रीय विप्र फाउंडेशन छत्तीसगढ़ महिला प्रकोष्ठ ने घर पर ही रहकर ज़ूम मीटिंग कर ऑनलाइन घर पर ही एक दूसरे के सहयोग से मनाए हनुमान जन्मोत्सव
Image
उत्तर प्रदेश के एक ग्राम पंचायत में ग्राम प्रधान के द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र (Death certificate) जारी किया गया , जिसे आप भी देखे
Image