कोरोना लॉक डाउन के चलते शराब दुकानों के बंद रहने पर मदिरा प्रेमियो में समाजिक, स्वास्थ्य एवं आर्थिक रुप से प्रभाव पर एक नजर



 

संपादकीय एवं लेखक बलवंत सिंह खन्ना





रायपुर छत्तीसगढ विशेष : इस लॉक डाउन को सरकार शराब बंदी के लिये पायलट प्रोजेक्ट के रूप में देखें  जो 100% सफल ह  सरकार को जनवरी 2020 तक 4090 करोड़ का राजस्व मिला जो लक्ष्य से 910 करोड़ मात्र कम है।देशी  विदेशी मंदिरा दुकानों से मदिरा के फुटकर विक्रय हेतु छतीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉपोरेशन लिमिटेड का गठन किया गया है, जिसके द्वारा आबकारी नीति के अंतर्गत देशी विदेशी मदिरा का फुटकर विक्रय किया जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में प्रदेश के 712 मदिरा दुकानों में से 50 दुकाने बंद करने का निर्णय राज्य सराकर द्वारा लिया गया था तथा 662 मदिरा दुकाने संचालित करने की अनुमति प्रदान की गई थी. वर्तमान में प्रदेश में छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के द्वारा 337 देशी एवं 311 विदेशी मंदिरा दुकानें संचालति है तथा आवश्यकतानुसार प्रीमियम विदेशी मंदिरा की फुटकर दुकानों का भी संचालन किया जा रहा है.छतीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉपोरेशन लिलिमटेड द्वारा राज्य की समस्त देशी-विदेशी मदिरा की फुटकर दुकानों का संचालन किया जा रहा है तथा प्रचलित व्यवस्था से विगत 10 माह में राजस्व की दृष्टि से वर्ष 2018-19 की तुलना में वर्ष 2019-20 में 11.49 प्रतिशत राजस्व की वृद्धि हुई है.



      इससे पूर्व में ठेकेदारों के माध्यम से मंदिरा दुकानों का संचालन किया जाता रहा है।. तथा कोचियों के माधम से अवैध शराब के विक्रय तथा असामाजिक तत्वों के द्वारा क़ानून व्यवस्था भंग करने की शिकायतें प्राप्त होती रहती थी. वर्तमान में व्यवस्था से ग्रामीण क्षेत्रों में कोयिचों द्वारा मदिरा के अवैध विक्रय में रोकथाम हुई है. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में शांति व्यवस्था निर्मित होने में सफलता मिली है. 5000 स्थानीय व्यक्तियों को प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया गया है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में समस्त फुटकर मदिरा दुकानों के संचालन की स्थिति में रुपए 5000 करोड़ का राजस्व लक्ष्य निर्धारित था. इसके विरूद्ध माह जनवरी 2020 तक रुपए 4090 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है.
 कोरोना के कारन अभी पुरे देश में लॉक डाउन है इससे हमारा राज्य भी अछूता नहीं है। कुछ अतिआवश्यक क्षेत्रो को छोड़कर शेष अभी क्षेत्र बंद है जिसमे से एक छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के द्वारा संचालित देशी-विदेशी मदिरा दुकाने भी है। वर्ष 2018 में जब विधानसभा का चुनाव हुए तब वर्तमान सरकार अर्थात कांग्रेस दल का एक मुख्य घोषणा था पूर्ण शराबबंदी।  चुनाव समय पुरे जोर शोर से इसका प्रचार-प्रसार किया गया इसमें कोई दो राय नहीं की छत्तीसगढ़ में ग्रामीण क्षेत्रो में यह वादा लोगो को पसंद आया और सब ने इसके लिये साथ भी दिए। खासकर ग्रामीण महिलाओं ने इसका दिल से स्वागत किया। छत्तीसगढ़ राज्य या कहें अमूमन सभी राज्यो में असामाजिक तत्वों द्वारा अपराध का एक मुख्य कारण नशा ही है। नशा से ग्रामीण समाज के साथ साथ शहरी या हम जिसे उच्च वर्ग कहते हैं सभी क्षेत्रो में कई परिवारो का नाश हुआ है। जब भूपेश सरकार सत्ता में आई तो अपने घोषणा पत्र के कई घोषणाओं पर तो कार्य किया गया लेकिन जिसे मुख्य घोषणा मान रहे थे पूर्ण शराब बंदी का उसे समिति गठित कर के शराबबंदी के लिये अध्ययन पश्चात् निर्णय लेने हेतु मानो ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया। इसका पुरजोर विरोध भी हुआ विपक्षीय राजनितिक दलो द्वारा,लेकिन इसपर कोई सन्तोषजनक फैसला सरकार के द्वारा नहीं आया। सरकार ने शराबबंदी से होने वाले राजस्व हानि के अलावा समाजिक व आर्थिक प्रभाव का भी हवाला देते हुये कहा कि अचानक शराब बंद कर दिया जायेगा तो जो लोग शराब का सेवन निरन्तर करते हैं, एवं जो व्यक्ति/परिवार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र में कार्यरत हैं उनके जीवन में सामाजिक व आर्थिक प्रभाव या कहें दुस्प्रभाव पड़ेगा, इसलिये इसपर गहन अध्ययन के पश्चात् ही उचित फैसला लिया जायेगा। चलो मान भी लिया जाये यह सही था सरकार द्वारा ऐसा कहना ।लेकिन  क्या अभी जब कोरोना के कारण अचानक से शराब दुकाने बंद है तो ऐसे व्यक्तियों के जीवन में क्या प्रभाव पड़ा उसका अध्ययन किया जाना चाहिए ?? हाँ बेशक किया जाना चाहिए। 
                  लगभग एक महीने से शराब दुकाने बंद है इस दौरान वह हर व्यक्ति स्वस्थ्य हैं जिनको प्रतिदिन शराब का सेवन करने का आदि था। ऐसे व्यक्तियो में सामजिक और आर्थिक बदलाव भी हुये हैं।  समाज में इनका सम्मान बढ़ा है जो पहले रोजाना शराब पी कर समाज के सामने हिन भावना का शिकार होते थे, जो मजदुर व्यक्ति दिनभर के अपने कमाई का आधा पैसा तो शराब में उड़ा देता था उनके जीवन में आर्थिक लाभ हुआ है। अब तक ग्रामीण क्षेत्रो में मनरेगा भी प्रारम्भ हो गया है, जिसमे पहले ग्रामीण मजदुर अपने कमाई के आधे पैसे को शराब में उड़ा देते थे अब वह इस राशि को अपने परिवार के जरुरतो के लिये खर्च करेगा।इतने लम्बे समय से शराब न मिलने से लोगो में समाजिक,आर्थिक,शारीरिक प्रभाव अवश्य पड़ा है और यह प्रभाव सकारात्मक  है । साथ ही आपराधिक मामलो में भी गिरावट आई है नशा के कारण होने वाले अपराध में अत्यधिक कमी आई है। हालांकि कुछ जगहों में महुवा शराब बनाने और विक्रय करने की खबर भी आई है लेकिन उसपर कार्यवाही जारी है।
यह समय बेहद अहम है इससे बेहतर अवसर सरकार को सायद ही मिले। अगर भूपेश सरकार को सच में अपने जनता की फ़िक्र है और उनको लगता है की शराब के सेवन से लोगो में सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक दुस्प्रभाव पड़ता है जिसे दूर/खत्म करना चाहिये तो यही समय है जब सरकार इसपर कठोर और बेहतर फैसला करें। इससे सरकार कई परिवारो को टूटने से बचा सकता है। कई बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ साथ अपने माता-पिता का प्यार और परवरिश मिल सकता है। राज्य सरकार के राजस्व में अवश्य गिरावट हो या नुक्सान हो लेकिन उनके जनता के जीवन में आर्थिक परिवर्तन होगा शराब में खर्च होने वाला राशि को व्यक्ति अपने ऊपर या अपने परिवार के बेहतरी के लिये खर्च करेगा। अगर प्रति वर्ष सरकार को 5000 करोड़ रूपये का राजस्व मिल रहा हो तो उससे कही ज्यादा राशि बाहर खर्च होता है एक व्यक्ति शराब का सेवन करता है तो केवल शराब नहीं लेता है, वह साथ में अन्य खाद्य सामग्री भी लेता है जिसका मूल्यांकन किया जाए तो सालाना 5000 करोड़ रुपए के बराबर हो।अगर शराब बिकना ही बंद हो जाए तो यह पैसा हमारे लोगो के पास ही रहेगा जिसे वह अपने या अपने परिवार के बेहतरी के लिये उपयोग में लाएगा। 
यह समय सरकार के लिये मिल का पत्थर साबित हो सकता है।  अगर वह इतना हौसला दिखाए और शराब दुकानों को अब दोबारा खोले ही ना। रही बात सरकार को अपने राजस्व की भरपाई की बात तक हमारा राज्य खनिज का भंडार है , यहाँ संसाधनो की कमी नहीं है सरकार अपनी राजस्व की भरपाई अन्य क्षेत्रो से कर सकता है। निर्माण क्षेत्र,उद्योग क्षेत्र, उत्पादन क्षेत्र, कृषि क्षेत्र, शिक्षा क्षेत्र, रोजगार/स्व रोजगार क्षेत्र में अच्छा कार्य करे जिससे सरकार को बेहतर राजस्व मिले। शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाएं, जब राज्य में बेहतर मानव संसाधन उपलब्ध होगा तो राज्य को राजस्व के लिये कमी नहीं होगी।
लॉक डाउन ने प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बदलाव अवश्य लाया है लेकिन यह हमारे ऊपर निर्भर है की इस बदलाव को व्यक्ति कैसे लेता है। आज सब बंद होने पर भी हम जी रहे हैं, अपने परिवार के साथ हैं, अपने जीवन में जो वास्तविक जरूरतें हैं केवल वही कर रहे है। गैर जरूरते वाले कार्य या खर्चे बंद है, हमारा पर्यावरण भी पहले से काफी सुद्ध व स्वक्ष है। हममे स्वक्षता के प्रति जागरूकता आई है बेफुजुल का घूमना बंद हुआ है आज पूरा विश्व घरो से कार्य करने हेतु प्रोत्साहित कर रही है। हम इस समय को सकारात्मक रूप से सोचें और अपने आने वाले जीवन के लिये बेहतर योजना बनाये तो यह प्रत्येक व्यक्ति के लिये बेहतर होगा। 
        सरकार भी अगर इस समय का सदुपयोग कर सके तो या सरकार के साथ साथ राज्य के जनता के लिये भी हितकारी होगी। आप जिस प्रकार अपने घोषणापत्र से सरकार बनाने में कामयाब हुये उसीप्रकार शराबबंदी से आप जनता के प्रति वचनबद्ध सरकार साबित होंगे। यही समय है जब आप लोगों के बीच जाकर शराब बंदी के कारण होने वाले परिवर्तन का मूल्यांकन कर सकते हैं। इस लॉक डाउन को आप शराब बंदी के लिये पायलट प्रोजेक्ट के रूप में देख सकते हैं जो 100% सफल है। इससे बेहतर पायलट प्रोजेक्ट आप कभी नहीं कर सकते न ही आपके द्वारा गठित समिति इस प्रकार के अध्ययन करने लायक समय खोज सकेंगे। अगर सरकार में दृण निश्चय है तो वह इस समय का सदुपयोग कर सकती है। कोरोना से हम जित ही लेंगे, छत्तीसगढ़ में जिस प्रकार से नियंत्रण करने में सफल साबित हुए हैं वह काबिले तारीफ है। अब सरकार को सच में अपने जनता के स्वास्थ्य का ध्यान है तो मेरा करबद्ध निवेदन है की शराब बंदी लागु करें।


(लेखक बलवंत सिंह खन्ना, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर के समाज कार्य विभाग के पूर्व छात्र एवं युवा सामाजिक कार्यकर्ता के साथ-साथ स्वतन्त्र लेखक व समाजिक मुद्दों के विचारक हैं।)






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